बाबा रामदेव के कोरोनिल दवा का सच क्या


 


नमस्कार, आज कोरोना महामारी से पूरा विश्व चिंतित है अभी तक कोई दवाई खोज नहीं पाया है। बाबा रामदेव ने दावा किया है कि कोरोना को ख़त्म करने की दवाई हमने तैयार की है। जिसकी अनुमति भारत सरकार और उत्तराखण्ड सरकार ने दे दी है। कोरोनिल दवा लॉन्च होते ही रामदेव को झटका-बाबा रामदेव को लगभग 8 हज़ार करोड़ का मुनाफा यानी अरबो रुपया कमाने के मकसद से कोरोनिल दवा बनाने का दावा  किया। जानते है सच क्या है?



  • केंद्र सरकार और उत्तराखण्ड सरकार के करीबी और राजनिति प्रभाव वाले बाबा रामदेव ने आयुष मंत्रालय की परवाह न करते हुए इम्युनिटी बढ़ाने वाला काढ़ा (गिलोय, तुलसी और अश्वगंधा) नामक मिश्रण का नाम बदलकर नया नाम कोरोनिल दवा रखकर मंगलवार २३ जून २०२० मिडिया की मौजूदगी में लॉन्च किया।


         



  • बाबा रामदेव ने प्रेस कांफ्रेंस मेँ दावा  किया कि 7 दिनों में कोरोना के  गंभीर रोगी भी 100 प्रतिशत नेगेटिव (पूर्ण रूप से संकरण ख़त्म हो जाएगा) कभी भविष्य में संक्रमण नहीं होगा। क्या ये संभव है कि बिना रोगियों पर क्लीनिकल ट्रायल किये।

  • जरा सोचो इम्युनिटी बढ़ाने वाला काढ़ा (गिलोय, तुलसी और अश्वगन्धा) ये कोरोना का दवा कैसे हो सकती है। कहीं आयुर्वेदिक विज्ञानं का मजाक तो नहीं बनाया जा रहा है। 


 


       


 



  • हम जानना चाहते है कि कोरोनिल दवा की हकीकत क्या है और किस तरह से मंजूरी मिली। 21 अप्रैल 2020 के आदेश के अनुसार आयुष मंत्रालय के देखरेख में सभी दवाओं का परिक्षण होगा। लेकिन कोरोनिल दवा लॉंच  होने के बाद आयुष मंत्रालय को पता लगने पर बाबा रामदेव से पूछताछ कर रही है कि  कोरोनिल दवा का क्लिनिकल ट्रायल  किस हॉस्पिटल में हुआ, क्या परिणाम आये, क्या ICMR और CDSCO की देखरेख में हुए। आयुष मंत्रालय ने composition sample size, research study और कोरोनिल दवा का स्टेट लाइसेंस की भी जानकारी मांगी।

  • उत्तराखंड के Dr. Y.S Rawat, ड्रग लाइसेंस अफसर का कहना है कि 10 जून 2020 को खांसी, बुखार और जुखाम की दवा बनाने का आवेदन दिया  था  और समिति ने 12 जून 2020 को लाइसेंस दे दिया गया। लेकिन कोरोनिल दवा से सम्बंधित कोई भी क्लेम, नाम, अप्रूवल और लाइसेंस नहीं दिया गया।उत्तराखंड आयुर्वेदिक विभाग ने उनके खिलाफ नोटिस जारी कर दिया है। विभाग का कहना है कि बाबा रामदेव ने बुखार, खांसी और जुखाम की दवा बोलकर लाइसेंस लिया था। कोरोना की दवा बना रहें ये नहीं बताया।


 


       


 


       


 



  •  राजस्थान से बलराम जाखड़ और अंकित कपूर की ओर से दर्ज FIR में फर्जी कोरोनिल दवाई बनाकर अरबो रुपए कमाने के मकसद से कोरोनिल दवा बना लेने का दावा किया गया। इसमें धारा 188A, 420, 467, 120B IPC संगठित धारा 3 और 4 राजस्थान एपिडेमिक डीजीज आर्डिनेंस 2020, धारा 54 आपदा प्रबंधन अधिनियम आदि आपराधिक  धाराओं और ड्रग्स एंड मैजिक एमडीज अधिनियम 1954 के अधीन कार्यवाई की मांग की गई।

  • बाबा रामदेव ने बताया कि हमने राजस्थान में भी कोरोना के गंभीर रोगियों का क्लिनिकल ट्रायल किया लकिन राजस्थान सरकार ने कहा कि बाबा रामदेव झूठ बोल रहें हैं हमारे राज्य में इस प्रकार का कोई भी क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ और राजस्थान सरकार ने इस मामले के विरुद्ध FIR दर्ज करवाई तथा भारत सरकार से रामदेव के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा।

  • बाबा रामदेव ने ये भी दावा किया कि कोरोनिल दवा एक इंजेक्शन (टीका) जैसा काम करती है। ये दवा लेने के बाद कोरोना नहीं होगा। इस तरह बड़े बड़े क्लेम करके लोगो को गुमराह करने का धंधा चल रहा है।

  • सच तो ये है कि कोरोनिल दवा को बेचने के लिए पहले The Central Drugs Standard Control Organization (CDSCO) से सर्टिफिकेट लेना पड़ता है लेकिन इस साइट पर कोई जानकारी नहीं है न ही सर्टिफिकेट है

  • बाबा रामदेव ने कोरोनिल दवा बनाने का लाइसेंस न तो उत्तराखंड सरकार से न ही आयुष मंत्रालय से प्राप्त किया बिना लाइसेंस प्राप्त किये कोरोनिल दवा का लॉन्च करना सरकारों के मुँह पर तमाचा मारना या बाबा रामदेव की पैसे की ताकत दर्शाता है।

  • देखने की बात ये है कि लॉन्च होने  बाद आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल दवा के विज्ञापन पर प्रतिबन्ध लगा दिया लेकिन बेचने पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया

  • बिना CTRI (Clinical Trial Registry of India), ICMR (Indian Council Medical Research), आयुष मंत्रालय और गृह मंत्रालय को जानकारी दिए बिना कोरोनिल दवा को लॉन्च करना आश्चर्य की बात है।

  • बाबा रामदेव जिस कोरोनिल दवा को बेच रहा है उसे आयुष मंत्रालय ने पहले ही देशवाशियों को इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बता चुका है। ये दवा यांनी काढ़ा (गिलोय, तुलसी और अश्वगंधा) तीनो का मिश्रण लगभग सभी लोग 2 से 3 बार सेवन कर रहें हैं। इस काढ़े की कीमत 5 रुपए आती है लेकिन यही काढ़ा बाबा रामदेव ने कोरोनिल दवा के नाम से कोरोना किट की कीमत 535/- रुपए प्रति वसूल रहा है। इस कोरोना किट को इस देश के 10% लोग भी खरीदते हैं तो बाबा रामदेव को लगभग 8 हजार करोड़ रुपए का मुनाफा होता नज़र आ रहा है। बाबा रामदेव इस मुनाफे को भुनवाने के लिए अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल कर सकता है।

  • इन सभी बातों से पता चलता है कि बाबा रामदेव ने इस आपदा और कोरोना महामारी के संकट और लोगो में कोरोना संक्रमण का भय का लाभ लेते हुए कोरोनिल दवा से अधिक मुनाफा कमाने के लिए मार्किट में ले जा रही है, जिसका कोई लाइसेंस नहीं,न कोई विश्वनीयता (Reliability), न ही प्रमाणिता है और न ही कोई क्लीनिकल ट्रायल किया गया है।

  •  बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री केयर फण्ड में सहायता राशि देने के बाद सरकार का और भी करीबी माने  जाते हैं। केंद्र सरकार  और उत्तराखंड सरकार का पूरा protection मिल रहा है।


 




  • फ़र्ज़ी कोरोनिल दवा को लॉन्च से देश की बदनामी तो होती है इसके साथ साथ दुनिया भर में  देश बदनाम होता है।

  • क्या बाबा रामदेव की फ़र्ज़ी कोरोनिल दवा लॉन्च होने पर सरकार कोई कार्यवाही करेगी 

  • केंद्र सरकार जल्द ही बाबा रामदेव की फ़र्ज़ी कोरोनिल दवा मार्किट में बेचने की अनुमति किसी भी समय प्रदान कर सकती है।

  • इस प्रकार बाबा रामदेव के तुच्छ कार्य यह दर्शाता है कि किस प्रकार राज्य, शाशन और देश में उनका वर्चस्व है। 


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