अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2019


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2019



अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, २१ जून, 2019, योग दिवस को मनाने के लिए आप सभी को हमारी हार्दिक शुभकामनाएं।  योग एक ऐसी सुलभ एवं प्राकृतिक पद्धति है, योग करने के लिए  सबसे महत्त्वपूर्ण उपकरण जो आपको चाहिए होंगे वो हैं आपका शरीर और आपका मन।


भारत में योग: आदि युग से मोदी युग तक : योग की परंपरा, भारत में उतनी ही प्रचलित है, जितनी कि भारतीय संस्कृति, धर्म, ज्ञान और विज्ञान के मामले में भारत से ज्यादा समृद्धशाली देश कोई दूसरा नहीं। भारतीय जीवन में योग की साधना हर काल में होती आई है। भारतीय बुद्धि का दुनिया में लोहा माना जाने लगा है तो उसी ज्ञान के बल पर जो हमारे ऋषि और मुनि हमें दे गए हैं। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार योग, जीवन को अच्छे ढंग से जीना सीखता है । 


प्रचीन युग में हमारे ऋषि-मुनियों ने इसके माध्यम से जन-जन को लाभांवित किया। वर्तमान समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रऋषि के रूप में संसार भर के लोगों तक इस अनमोल ज्ञान को पहुंचाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं। उसी योग को प्रधानमंत्री  श्री नरेंदर मोदी ने एक कदम आगे बढाकर विश्व पटल पर स्थापित कर दिया है।


योग शब्द की उत्पत्त‍ि संस्कृति के युज से हुई है, जिसका मतलब होता है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन। योग विश्व इतिहास का सबसे पुराना विज्ञान है, जिसने व्यक्ति के अध्यात्मिक और शारीरिक क्रियाकलापों के लिए नए द्वार खोले। योग का जन्म कब हुआ ? वेदों एवं जैन ग्रंथों में योग का वर्णन मिलता है योग लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है। वैदिक संहिताओं के अनुसार तपस्वियों के बारे में प्राचीन काल से ही वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग और समाधि को प्रदर्श‍ित करती मूर्तियां प्राप्त हुईं। 


।। शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् ।। अर्थ : शरीर ही सभी धर्मों (कर्तव्यों) को पूरा करने का साधन है। अर्थात शरीर को सेहतमंद बनाए रखना जरूरी है। इसी के होने से सभी का होना है अत: शरीर की रक्षा और उसे निरोगी रखना मनुष्य का सर्वप्रथम कर्तव्य है। पहला सुख निरोगी काया।


योग क्या है: योग वह प्रकश है जो एक बार जला दिया जाए तो कभी कम नहीं होता। जितना अच्छा आप अभ्यास करेंगे , लौ उतनी ही उज्जवल होगी।  बी के एस आयंगर



  • योग मन को स्थिर करने की क्रिया है। पतंजलि

  • जब आप सांस लेते हैं , आप भगवान से शक्ति ले रहे होते हैं। जब आप सांस छोड़ते हैं तो ये उस सेवा को दर्शाता है जो आप दुनिया को दे रहे हैं। बी के एस आयंगर

  • जब आप सांस लेते हैं , आप भगवान से शक्ति ले रहे होते हैं। जब आप सांस छोड़ते हैं तो ये उस सेवा को दर्शाता है जो आप दुनिया को दे रहे हैं। बी के एस आयंगर

  • कर्म योग में कभी कोई प्रयत्न बेकार नहीं जाता, और इससे कोई हानि नहीं होती। इसका थोड़ा सा भी अभ्यास जन्म और मृत्यु के सबसे बड़े भय से बचाता है। भगवद गीता

  • कर्म योग वास्तव में एक सर्वोच्च रहस्य है। भगवद गीता

  • संसार सागर से पार होने के उपाय को ही योग कहा जाता है | योग वशिष्ठ के अनुसार

  • आत्मा का परमात्मा से पूर्ण रूप से मिलन होना ही योग कहलाता है | वेदांत के अनुसार

  • शिव और आत्मा के अभेद्य ज्ञान का नाम ही योग है | प्रत्यभिज्ञानानुसार


योग की इन सभी परिभाषाओं में शब्द चाहे अलग – अलग हो लेकिन सबके अर्थ एक सामान ही निकलते है | योग की सिद्धि से व्यक्ति शारीरक ही नहीं वरन आत्मिक रूप से भी पूर्ण निरोगी होकर आत्मा से परमात्मा का स्वरुप प्राप्त कर लेता है | व्यक्ति की शारीरक और मानसिक शुद्धि के लिए योग परम आवश्यक युक्ति है, योग एक ऐसी तकनीक है, जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को एक करती है। यह हमारे अंदर से तनाव और कुंठा को दूर करती है। जब हम सामान्य श्वास की तकनीकों, ध्यान, प्राणायाम और कसरतों को करते हैं, तो यह सब हमारे शरीर व मन को अंदर से खुश और अच्छा रहने के लिए प्रेरित करती हैं। योग के माध्यम से मनुष्य का शरीर , मस्तिष्क और भावनाओं में समन्वय स्थापित होता है | योग का मूल कार्य आध्यात्म की उस ऊचाई को प्राप्त करना है जहाँ मनुष्य इन सांसारिक बन्धनों के भार से मुक्त होने लगता है | उस परमपिता परमेश्वर को जानने का उसे महसूस करने का एकमात्र द्वार योग है |


योग के पहला अनुभव शारीरिक अनुभव है | जिसमें कुछ समय के बाद ही लोग लोग महसूस करते हैं  योग के कुछ दिनों के अभ्यास से ही लोग रोगों से छुटकारा पाकर अपने शरीर में बदलाव स्वयं महसूस करने लगता है | योग का पहला कार्य मानव शरीर को स्वस्थ बनाकर उर्जावान बनाना है |


योग का दूसरा अनुभव मस्तिष्क और विचारों ( भावनाओं ) पर दिखाई देता है | मानव मस्तिष्क से तनाव, चिंता, अवसाद , नकारात्मक भाव इन सभी मानसिक समस्याएं पर काबू पाने में योग प्रभावी सिद्ध होता है |


योग का तीसरा अनुभव मनुष्य को आध्यात्म की ओर ले जाता है | सांसारिक बन्धनों और चिन्ताओं से मुक्ति प्रदान कर योग उस परम इकाई की और अग्रसर करता है जहाँ सिर्फ आनंद ही आनंद है | योग के प्रकार प्रमुख रूप से योग के 4 प्रकार है : –  राज योग , कर्म योग , भक्ति योग , ज्ञान योग |


योग का मनुष्‍य जीवन पर प्रभाव 


व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं। आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम् ॥   भावार्थ : व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं ।


योग करने के लाभ :- योग मनुष्‍य जीवन को शारीरिक , मानसिक व आध्यात्मिक सभी प्रकार से लाभान्वित करता है | आइये जानते है योग से होने वाले लाभ कौन-कौन से है :-



  • योग से सम्पूर्ण शरीर का व्यायाम स्वतः ही हो जाता है | योग की विभिन्न क्रियाएँ अलग-अलग रूप से शरीर को बाहर से व अन्दर से स्वस्थ करती है |

  • सभी प्रकार की मानसिक समस्याएं जैसे : चिंता, तनाव व नकारात्मक विचार ये सभी योग द्वारा दूर की जा सकती है | योग शरीर को उर्जावान बनाने के साथ-साथ बुद्धि को बल भी प्रदान करता है |

  • नियमित योग अभ्यास रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है | ऐसे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक प्रणाली मजबूत हो जाती है व मौसम के अनुसार आने वाली सर्दी, जुकाम व बुखार जैसी बीमारियाँ दूर रहती है |

  • योग करने वाला व्यक्ति सदैव प्रसन्नचित रहता है ऐसा व्यक्ति समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है व विकट परिस्तिथियों में भी डटकर मुकाबला करता है |

  • नियमित योग करने वाला व्यक्ति बुरी लत व बुरी संगतों से दूर रहता है व आध्यात्म की ओर अग्रसर होकर अपने भविष्य को सुनहरा बनाता है |

  • प्राणायाम भी योग का ही अंग है जिसके द्वारा मानव शरीर के लीवर, पेट, फेफड़े, ह्रदय, गुर्दे आदि आन्तरिक अंगों को उपयुक्त मात्रा में ओक्सिजन मिलती है जिससे लम्बे समय तक ये स्वस्थ रहते है |

  • व्यक्ति की नकारात्मक सोच धीरे – धीरे खत्म होने लगती है एवं वह अपने लक्ष्य की और तीव्रता से बढ़ता है |

  • योग से ब्लडशुगर का लेवल घटता है और बैड कोलेस्ट्रोल को भी कम करता है। डायबिटीज रोगियों के लिए योग बेहद फायदेमंद है।

  • सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोगों या विकारों का शमन होता है |

  • खड़े होकर किये जाने वाले योगासनों से शरीर की मांसपेशियों में मजबूती आती है जिससे गठिया, कम्पवात, मांसपेशियों का दर्द एवं अकडन, चली जाती है | साथ ही इन योगासनों को अपनाने से घुटने एवं जॉइंट्स की सभी बीमारियों में लाभ मिलता |

  • नियमित योग को अपनाने से विभिन्न रोग – जैसे अस्थमा, जुकाम, एलर्जी, अपच, अजीर्ण, हृदय रोग, कैंसर, आँखों की कमजोरी, स्मरण कमजोरी, स्नायु रोग, धातु रोग, अशांति, मानसिक विकार एवं एड्स जैसी विभिन्न जानलेवा बिमारियों से व्यक्ति को बचाता है |

  • योग का नियमन व्यक्ति की उम्र को बढाता है |

  • श्वास के नियंत्रण को शारीरिक रूप से पुष्ट रखता है |

  • योग द्वारा सम्पूर्ण शरीर को लाभ प्राप्त होता है | किसी भी असाध्य रोग से लड़ने के लिए व रोगों से मुक्ति पाने के लिए

  • योग किसी वरदान से कम नहीं |


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत


योग प्रस्ताव को पहली बार प्रधान मंत्री मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69 वें सत्र के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में पेश किया था जिसमें उन्होंने कहा:


"योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।" — नरेंद्र मोदीसंयुक्त राष्ट्र महासभा


11 दिसंबर 2014 - संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में घोषित कर दिया | संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से अंतर्राष्ट्रीय दिवस' के रूप 21 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' घोषित किया गया |


संयुक्त राष्ट्र योग की महत्त्व को माना : - 193  देशों (जिसमें 40 मुस्लिम देश शामिल थे) ने प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम का साथ दिया था. इस प्रस्ताव का समर्थन 193 में से 175 देशों ने किया और बिना किसी वोटिंग के इसे स्वीकार कर लिया गया |संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारत के प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए, उन्होंने जोर देकर कहा कि “योग केवल व्यायाम के बारे में नहीं है; यह अपने आप को, दुनिया और प्रकृति के साथ, एकता की भावना की खोज करने का एक तरीका है।


योग क्या है: योग को किसी धर्म विशेष में नहीं बांध सकते, यह तो सभी धर्मो से ऊपर है | धर्म हमें सिर्फ जीना सिखा सकते है, कुछ नियम सिखा सकते या फिर धार्मिकता सिखा सकते है | लेकिन योग हमें उत्तम तरीके से जीवन यापन करने के साथ–साथ आत्मा से परमात्मा को उपलब्ध होने का तरीका बताता है जो इस मानव जीवन के लिए परम आवश्यक है।


योग प्राचीन हिन्दू सभ्यता का वह गौरवमय हिस्सा है जो अनादि काल से मनुष्य के मन और शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ आध्यात्म की ओर अग्रसर करता है | योग का अर्थ ”जोड़”  है जो मनुष्य के शरीर, मन और मष्तिष्क को एक साथ और एक जगह केन्द्रित करता है | योग के माध्यम से मनुष्य का शरीर , मस्तिष्क और भावनाओं में समन्वय स्थापित होता है | योग का मूल कार्य आध्यात्म की उस ऊचाई को प्राप्त करना है जहाँ मनुष्य इन सांसारिक बन्धनों के भार से मुक्त होने लगता है | उस परमपिता परमेश्वर को जानने का उसे महसूस करने का एकमात्र द्वार योग है ।


योग के प्रकार :- प्रमुख रूप से योग के 4 प्रकार है :– राज योग , कर्म योग , भक्ति योग , ज्ञान योग


राज योग  इस योग को अष्टांग योग भी कहते है इसमें आठ अंग है जो इस प्रकार है यम (शपथ लेना), नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार (इन्द्रियों पर नियंत्रण), धारण, एकाग्रता और समाधि | राज योग में आसन योग को अधिक स्थान दिया जाता है क्योंकि यह क्रिया राज योग की प्राथमिक क्रिया होने के साथ-साथ सरल भी है |


कर्म योग : कर्म योग में सेवा भाव निहित है | इस योग के अनुरूप आज वर्तमान में जो हम पा रहे है जो हमें मिला है वह हमारे भूतकाल के कर्मो का फल है | इसलिए यदि एक जातक अपने भविष्य      को अच्छा बनाना चाहता है तो उसे वर्तमान समय में ऐसे कर्म करने होंगे जिससे भविष्य काल शुभ   फल प्रदान करने वाला बने | कर्म योग स्वयं के कार्य पूर्ण करने से नहीं बल्कि दूसरों की सेवा करने से बनता है |


भक्ति योग : भक्ति योग उस परमपिता परमेश्वर इकाई की और ध्यान केन्द्रित करने का वर्णन करता है जो इस संसार के रचियता है | भक्ति योग में भावनाओं को भक्ति की ओर केन्द्रित करने के विषय में बताया गया है |


ज्ञान योग : योग की सबसे कठिन शाखा ज्ञान योग है जिसमें बुद्धि को विकसित किया जाता है | ज्ञान योग का मुख्य कार्य जातक को ग्रंथों के अध्ययन द्वारा व मौखिक रूप से बुद्धि को ज्ञान के मार्ग की और अग्रसर करना है।


योग का मानव जीवन पर प्रभाव 


योग करने के लाभ :- योग मानव जीवन को शारीरिक , मानसिक व आध्यात्मिक सभी प्रकार से लाभान्वित करता है | आइये जानते है योग से होने वाले लाभ कौन-कौन से है :-



  • योग से सम्पूर्ण शरीर का व्यायाम स्वतः ही हो जाता है | योग की विभिन्न क्रियाएँ अलग-अलग रूप से शरीर को बाहर से व अन्दर से स्वस्थ करती है |

  • सभी प्रकार की मानसिक व्याधियाँ जैसे : चिंता, तनाव व नकारात्मक विचार ये सभी योग द्वारा दूर की जा सकती है | योग शरीर को उर्जावान बनाने के साथ-साथ बुद्धि को बल भी प्रदान करता है |

  • नियमित योग अभ्यास रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है | ऐसे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक प्रणाली मजबूत हो जाती है व मौसम के अनुसार आने वाली सर्दी, जुकाम व बुखार जैसी बीमारियाँ दूर रहती है |

  • योग करने वाला व्यक्ति सदैव प्रसन्नचित रहता है ऐसा व्यक्ति समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है व विकट परिस्तिथियों में भी डटकर मुकाबला करता है |

  • नियमित योग करने वाला व्यक्ति बुरी लत व बुरी संगतों से दूर रहता है व आध्यात्म की ओर अग्रसर होकर अपने भविष्य को सुनहरा बनाता है |

  • प्राणायाम भी योग का ही अंग है जिसके द्वारा मानव शरीर के लीवर, पेट, फेफड़े, ह्रदय, गुर्दे आदि आन्तरिक अंगों को उपयुक्त मात्रा में ओक्सिजन मिलती है जिससे लम्बे समय तक ये स्वस्थ रहते है |

  • व्यक्ति की नकारात्मक सोच धीरे – धीरे खत्म होने लगती है एवं वह अपने लक्ष्य की और तीव्रता से बढ़ता है

  • योग से ब्लड शुगर का लेवल घटता है और ये।D। या बैड कोलेस्ट्रोल को भी कम करता है। डायबिटीज रोगियों के लिए योग बेहद फायदेमंद है।

  • सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोगों या विकारों का शमन होता है

  • खड़े होकर किये जाने वाले योगासनों से शरीर की मांसपेशियों में मजबूती आती है जिससे गठिया, कम्पवात, मांसपेशियों का दर्द एवं अकडन, चली जाती है | साथ ही इन योगासनों को अपनाने से घुटने एवं जॉइंट्स की सभी बीमारियों में लाभ मिलता

  • नियमित योग को अपनाने से विभिन्न रोग – जैसे अस्थमा, जुकाम, एलर्जी, अपच, अजीर्ण, हृदय रोग, कैंसर, आँखों की कमजोरी, स्मरण कमजोरी, स्नायु रोग, धातु रोग, अशांति, मानसिक विकार एवं एड्स जैसी विभिन्न जानलेवा बिमारियों से व्यक्ति को बचाता है |

  • योग का नियमन व्यक्ति की उम्र को बढाता है |

  • श्वास के नियंत्रण को शारीरिक रूप से पुष्ट रखता है |

  • योग द्वारा सम्पूर्ण शरीर को लाभ प्राप्त होता है | किसी भी असाध्य रोग से लड़ने के लिए व रोगों से मुक्ति पाने के लिए योग किसी वरदान से कम नहीं |


दुनिया को योग सिखाने वाले भारत के 5 बड़े गुरु : आज के दौर में बाबा रामदेव योगगुरु के तौर पर बेशक बहुत लोकप्रिय हों लेकिन भारत में कई ऐसे गुरु हुए हैं जिन्होंने दुनिया को राह दिखाई. जानिए ऐसे 5 बड़े गुरुओं के बारे में जिन्होंने भारतीय योग परंपरा को समृद्ध बनाया ।


तिरुमिलाई कृष्णमचारी (18 नवंबर 1888 - फरवरी 1989) को आधुनिक योगगुरु माना जाता है | उन्होंने विन्यास योग शैली का इस्तेमाल किया और हठ योग का पुनरुद्धार किया | उन्हें आयुर्वेद और योग दोनों की खासी जानकारी थी | तिरुमिलाई को दिल की धड़कन पर नियंत्रण की महारत हासिल थी ।


आधुनिक योगगुरु शिवानंद पेशे (8 सितम्बर 1887 - 14 जुलाई 1963) से एक डॉक्टर थे। उन्होंने एक योगी की 18 खासियतों के बारे में लिखा था. उनके मुताबिक एक योगी मज़ाकिया स्वभाव का होना चाहिए. हठ योग, कर्म योग और मास्टर योग को मिलाकर उन्होंने त्रिमूर्ति योग का सूत्र तैयार किया |


टी कृष्णमचारी (14 दिसंबर 1918 - 20 अगस्त 2014) के वो शुरुआती शिष्यों में से एक थे | बचपन में वो कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त और काफी कमज़ोर थे | उन्होंने पतंजलि योग सूत्र को नए ढंग से व्याख्यायित किया | निधन से पहले 95 साल तक की उम्र में वो शीर्षासन करते थे ।


कृष्ण पट्टाभी जोयीस (26 जुलाई 1915 - 18 मई 2009) भी एक बड़े योगगुरु थे | उन्होंने अष्टांग विन्यास योग शैली विकसित की थी. उनके अनुयायियों में मडोना, स्टिंग और ग्वेनेथ पाल्ट्रो जैसे बड़े नाम शुमार थे।


पश्चिम जगत को योग से अच्छे से परिचित कराने का श्रेय परमहंस योगानंद (5 जनवरी 1893 - 7 मार्च 1952) को जाता है. क्रिया योग का "विज्ञान" योगानंद की शिक्षाओं की नींव है ।


मोदी युग में योग : 21 जून, 2015, यही वो दिन है जब सारी दुनिया को उस ज्ञान को आत्मसात करने का मौका मिला जिसके लिए वो सदियों से लालायित थी ।  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी   की पहल  पर इस दिवस  को अंतरराष्ट्रीय  योग दिवस  के रूप में



 पहचान मिली। हजारों-हजार साल की जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर थी उसका डंका एक साथ विश्व के 193 देशों में बज उठा।  भारत की इस प्राचीन विरासत ने एकबार फिर से हिंदुस्तान का मस्तक गौरव से ऊंचा कर दिया, जो सात-आठ सौ वर्षों से सिमट कर रह गया था। आसन-प्रणायाम के माध्यम से विश्व समुदाय का तन-मन पवित्र हो उठा। जिसे भी इस अद्भुत क्षण को जीने का समय मिला उसका मानो सारा जीवन सहज हो गया। उस ऐतिहासिक दिवस के तीन साल पूरे हो रहे हैं। सारी दुनिया भारत के अनमोल ज्ञान को पाकर गौरव कर रही है। इस सुखद आभास को जीन वाला हर मानव, हृदय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को कोटि-कोटि नमन कर रहा है